Wednesday, April 25, 2012

Khwahishon Ko Jinda Rakho...Renu Mishra

 ख्वाहिशें ज़िन्दगी का उल्लास हैं.....हमें उन्हें जिंदा रखना है....:) 

हमने अक्सर देखा है कि जब भी किसी इंसान से मिलो, उससे बातें करो तो पता चलता है कि उसने अपनी ज़िन्दगी कि ज़रूरतों को, परिवार कि ज़रूरतों को, और समाज कि ज़रूरतों को पूरा करने में खुद को कहीं खो चूका रहता है । कोई अन्य क्यूँ...हम स्वयं भी उसी नौका में सवार हैं। न जाने कितनी बार हम अपनी ज़रूरतों को पूरा करने में ख्वाहिशों को अनदेखा कर देते हैं।कहने को ये तो केवल शब्द मात्र हैं पर सोचो तो इनमे ज़मीन-आसमान का फर्क है।

चाहतें, ज़रूरतों को पूरा नहीं करती और ज़रूरतों को पूरा करने में, जाने कितनी ही चाहतें अधूरी रह जाती हैं।ज़िन्दगी इन्ही के बीच पिसती हुई मिल जाती है। चाहतों, ख्वाहिशों की मंजिल बहुत दूर होती है। इसलिए नहीं कि, उसका रास्ता लम्बा होता है बल्कि उसमे ज़रूरतों के मोड़ बहुत होते हैं. पर इसका मतलब नहीं कि हम ख्वाहिश रखना छोड़ दें...सपने नहीं देखेंगे तो वो पूरे कैसे होंगे??
इसलिए सपने ज़रूर देखने चाहिए, चाहतों को दिल में ज़रूर पालना चाहिए, उम्मीदों कि लौ को हमेशा जलाये रखना चाहिए...क्यूंकि कभी न कभी ज़िन्दगी की ज़रूरतें पूरी होंगी और मन ख्वाहिशों को पाने को लपक पड़ेगा।

और ये तो मैंने देखा है, अगर दिल से कोई चीज़ चाहो तो मिलती ज़रूर है...एक किस्सा याद आ रहा है..एक लड़की अपनी माँ से कढाई करना सीख रही थी, उसकी माँ ने पूछा क्या काढना चाहती हो तो उसने छोटा सा  जवाब दिया...एक प्यारा-सा बगीचों वाला घर, जिसके आँगन में हमेशा फूल (खुशियाँ) खिले हों और छत सितारों से सजा हो. उसने अपने  सपने को काढ लिया और रोज़ उसे  देखकर ख्वाहिश करने लगी. पर घर में दुर्घटना हो गयी जिससे उसका सब कुछ खो गया पर वो दिल नहीं खोया जिसमे उसने वो सपना संजोया था...समय बीता,सदियाँ बीती, पर उम्मीदें, अभी भी पलकों पर बैठ कर उस पल को जीने का इंतज़ार कर रही थी। और एक दिन वो सपना साकार हुआ..उसको उसका प्यार मिला, घर-बार मिला और आज वो अपने घर के लॉन में पौधों को पानी डालते मिल जाती है।

ज़रूरतों को पूरा करने में ख्वाहिशों कि बलि चढ़ती है पर मन को बिना उदास किये उसको पूरा करने कि चाहत को बरकरार रखना चाहिए...आखिर ज़िन्दगी तो हमें एक ही मिली है। उसी में सब कुछ करना है। 
"बस मन धीर धरे तो सब संभव है....
मन का उल्लास न मरे तो सब संभव है....
दिल में बचपन अठखेलियाँ करता रहे तो सब संभव है....
आँखों में सपनों का उजास न बुझे तो सब संभव है ।।"

wriiten & posted by:-
Renu Mishra
 

6 comments:

  1. Sahi kaha Renu ...Aadmi poori jindagi keval apne parivaar ,apne logon ke liye nyochavar kar detaa hai ...uskaa sapnaa uski khusi toh door kahin kisi kone mei dabi padi rehti hai ... Aur ek din doosron ke liye karte karte khud kahin kho jaata hai ...!!! Par yeh bhi kahin sunaa hai ki khud ke liye jiyaa toh kya jiyaa ..jinaa hai toh doosron ke liye jiyo ...Isi kaa naam jindagi hai ...!!!

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    1. aap ka kehna theek hai Kamlesh ...par aisa nahi hai ki hum dusron ke liye jeete nahi hain...aur usse hume khushi bhi milti hai par apne baare me sochna yaa unhe poora karne me bhi koi burai nahi hai.
      sabke khush rehne ki paribhasha alag hai...shayad meri paribhasha aapse juda ho..par aatma ki khushi sarvopari hai!!!

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  2. you are a very positive writer !
    i like that :)
    not like me....dark and depressed hahaaa

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    1. Hey Mandy,
      don't say like this..u always open ur heart in writing which is more difficult task to do.
      thanks ki tune article padha aur dil me aayi baat kahi..i'm loving it..:))

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  3. सही बात है, जरूरतों को पूरा करने में अक्सर ख्वाहिशों की बलि चढ़ती है लेकिन फिर भी कोशिश तो यही रहनी चाहिए न की सब कुछ करते हुए, सभी जरूरतों को पूरा करते भी हम अपनी ख्वाहिशों को जिंदा रख सके और उसे पूरा कर सकें..
    हाँ लेकिन जिंदगी बड़ी दुष्ट चीज़ का नाम है...ख्वाहिशें हमेशा दम तोड़ देती हैं, शायद इसी लिए ग़ालिब ने कहा है 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले' :)

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    1. abhi, mujhe lagta hai...is dusht pe koi reham nhi karna chahiye..kyunki jab tak hum ise apni sunayenge, ye hamare hisaab se chalegi nahi to apna rang turant dikha degi...isliye chalo khwahishon ko zinda rakhen, aur zindagi bhar muskurate rahen..:)

      btw hazaron khwahishen mera fav quote h..:)

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