Monday, September 16, 2013

पुरानी कहानी.….नई ज़ुबानी ("नकलची बंदर ")


रोज़ की तरह, कल रात को भी माँ बच्चे को कहानी सुना रही थी.।
 कहानी थी -"नकलची बंदर "
सुनने के बाद बच्चे ने पूछा,"माँ, कोई बन्दर ऐसे नक़ल कर सकता है क्या ?"
माँ ने कहा, "बेटा, अब तो इंसान ही ऐसा करने लगे हैं.…फिर वो तो जानवर था।  बस, वो बंदर की तरह भूल जाते हैं कि,"नक़ल के लिए भी, अकल की ज़रुरत होती है।"