कुछ लोग आपकी ज़िंदगी मे टिमटिमाते दिये की तरह होते हैं...सूरज जैसा आँखों को चौंधिया देने वाला उजाला नहीं करते, लेकिन अपने स्नेह के मद्धम रोशनी से आपकी ज़िंदगी की अंधेरी गलियों को रौशन करते जाते हैं...आपको एहसास भी नहीं होता, और आप अपने बेनूरी से बाहर आ चुके होते हैं।
यहाँ नाम नहीं लूँगी...उन उजालों का...नहीं तो रश्क हो जाएगा उन्हे खुद पर। पर मुझे गुमान है अपने उन टिमटिमाते दीयों पर :)